Thursday, July 18, 2013

Gazal : Tu aur Mein

ग़ज़ल : तूं और मैं : इलियास शेख़

तूं अब दैरो-हरम में हो यां,
मैं तो मेरे घर में सोया ।

मैं हँसता फिरता ईन गलियोंमें,
तूं हर शू रूक-रूक के रोयां ।

मेरी तो आँखे ओझल थी,
तुंने कुछ क्या देखा गोया ?

वो मेरां साया ही कब था ?
धूप में कुछ न पाया, खोया ।

मैंने कल भीगी आँखो को,
चन्द बीख़रे ख्वाबो से धोया ।

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